विष्णु पुराण में कई ऐसी भविष्यवाणियां की गई हैं, जो वर्तमान समय में हो रही घटनाओं से मिलती-जुलती लगती हैं। कलियुग को लेकर कई चेतावनियां दी गई हैं, जिनमें से प्रमुख 6 भविष्यवाणियां इस प्रकार हैं:
जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाएं: विष्णु पुराण के अनुसार, कलियुग में जलवायु असंतुलित हो जाएगी और मौसम के परिवर्तन से प्राकृतिक आपदाओं की बाढ़ आ जाएगी। भयंकर बारिश, बाढ़, सूखा, और अन्य पर्यावरणीय आपदाएं बढ़ती जाएंगी। आज के समय में असमान बारिश और बाढ़ की घटनाएं इस भविष्यवाणी की सच्चाई को दर्शाती हैं।
नैतिकता और धर्म का पतन: कलियुग में लोगों की नैतिकता का ह्रास होगा और धर्म का पालन केवल दिखावे के लिए किया जाएगा। लोग धर्म के मूल सिद्धांतों को छोड़कर अपने स्वार्थ और भौतिक इच्छाओं के पीछे भागेंगे। यह आजकल की जीवनशैली और समाज में देखी जा रही नैतिक गिरावट से मेल खाती है।
शासन और न्याय प्रणाली का भ्रष्ट होना: विष्णु पुराण में कहा गया है कि कलियुग में शासक और न्याय प्रणाली भ्रष्ट हो जाएंगे। सत्ता का दुरुपयोग होगा और गरीबों और असहायों के साथ अन्याय किया जाएगा। आज के समय में भ्रष्टाचार, पक्षपात और राजनीति में नैतिकता की कमी इस भविष्यवाणी का संकेत देती है।
परिवार और संबंधों में दरार: कलियुग में परिवारों में आपसी प्रेम, सम्मान और रिश्तों की गरिमा का ह्रास होगा। लोग अपने माता-पिता, भाई-बहनों और परिवार के अन्य सदस्यों से दूर होते जाएंगे। यह आज की दुनिया में टूटते परिवारों और व्यक्तिगत स्वार्थ की ओर बढ़ते झुकाव से मेल खाता है।
अधर्म और हिंसा का बढ़ना: विष्णु पुराण के अनुसार, कलियुग में अधर्म और हिंसा अपने चरम पर पहुंचेंगे। लोग एक-दूसरे के प्रति शत्रुता और क्रोध से भर जाएंगे, और दुनिया में शांति की जगह हिंसा, अपराध और संघर्षों का बोलबाला होगा।
भोजन और जल संकट: भविष्यवाणियों के अनुसार, कलियुग में जल और भोजन की भारी कमी होगी। प्राकृतिक संसाधनों का दुरुपयोग, जलवायु परिवर्तन, और प्रदूषण के कारण लोगों को पीने का पानी और शुद्ध भोजन मिलना कठिन हो जाएगा। आज के समय में बढ़ती खाद्य संकट और पानी की कमी की समस्या इस चेतावनी को वास्तविकता बनाती दिख रही है।
ये भविष्यवाणियां कलियुग के आने वाले संकटों और मानवता के लिए चेतावनी के रूप में देखी जा सकती हैं। जलवायु परिवर्तन, बाढ़, और प्राकृतिक आपदाएं विष्णु पुराण की इन भविष्यवाणियों के गंभीर संकेत हो सकते हैं।
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