व्हीलचेयर टेनिस एक रोमांचक और चैलेंजिंग खेल है जो शारीरिक रूप से दिव्यांग खिलाड़ियों के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह खेल विशेष रूप से उन खिलाड़ियों के लिए है जो चलने में असमर्थ होते हैं और व्हीलचेयर पर निर्भर होते हैं। टेनिस की तरह ही, व्हीलचेयर टेनिस भी कौशल, सहनशक्ति और मानसिक दृढ़ता की मांग करता है। यह खेल न केवल शारीरिक फिटनेस को बढ़ावा देता है बल्कि मानसिक स्वास्थ्य और आत्मविश्वास में भी सुधार करता है।
व्हीलचेयर टेनिस का इतिहास
व्हीलचेयर टेनिस की शुरुआत 1970 के दशक में अमेरिका में हुई थी। ब्रैड पार्क्स (Brad Parks) को इस खेल का जनक माना जाता है। 1976 में, उन्होंने और उनके साथी जेफ मिनेनब्रेक ने पहली बार व्हीलचेयर टेनिस की शुरुआत की। उसके बाद से, इस खेल की लोकप्रियता बढ़ती गई और यह एक अंतरराष्ट्रीय खेल के रूप में विकसित हो गया।
1992 में, बार्सिलोना पैरालंपिक में व्हीलचेयर टेनिस को आधिकारिक रूप से एक पैरालंपिक खेल के रूप में शामिल किया गया। तब से, यह खेल हर पैरालंपिक में आयोजित किया जाता है और इसमें दुनियाभर के खिलाड़ी भाग लेते हैं।
खेल के नियम
व्हीलचेयर टेनिस के नियम लगभग पारंपरिक टेनिस जैसे ही होते हैं, लेकिन कुछ महत्वपूर्ण अंतर होते हैं:
डबल बाउंस रूल:
- व्हीलचेयर टेनिस का सबसे बड़ा नियम अंतर यह है कि गेंद को दो बार उछलने की अनुमति है। पहला बाउंस कोर्ट के अंदर होना चाहिए, जबकि दूसरा बाउंस कोर्ट के अंदर या बाहर हो सकता है। यह नियम खिलाड़ियों को कोर्ट पर आसानी से पहुंचने और स्ट्रोक्स लगाने का मौका देता है।
व्हीलचेयर उपयोग:
- खिलाड़ी को हर समय व्हीलचेयर का उपयोग करना अनिवार्य है। मैच के दौरान, खिलाड़ी अपने व्हीलचेयर के पहियों का उपयोग करके कोर्ट के चारों ओर घूमते हैं और गेंद को हिट करते हैं।
अन्य नियम:
- बाकी सभी नियम पारंपरिक टेनिस जैसे ही होते हैं, जैसे सर्व, रिटर्न, स्कोरिंग सिस्टम, और फाउल्स।
व्हीलचेयर टेनिस के वर्ग
व्हीलचेयर टेनिस को दो वर्गों में विभाजित किया जाता है:
ओपन डिविजन (Open Division):
- यह वर्ग उन खिलाड़ियों के लिए है जो रीढ़ की हड्डी में चोट, मांसपेशियों की समस्या, या ऐसे किसी अन्य शारीरिक समस्या से ग्रस्त हैं जिससे वे अपने पैरों का उपयोग नहीं कर सकते।
क्वाड डिविजन (Quad Division):
- इस वर्ग में उन खिलाड़ियों को शामिल किया जाता है जो अपने हाथों और पैरों दोनों का उपयोग नहीं कर सकते। इसमें शामिल खिलाड़ी अपनी व्हीलचेयर की मदद से खेलते हैं और उन्हें रैकेट को पकड़ने और गेंद को हिट करने में अधिक चुनौती का सामना करना पड़ता है।
पैरालंपिक में व्हीलचेयर टेनिस का आयोजन
पैरालंपिक खेलों में, व्हीलचेयर टेनिस में पुरुषों और महिलाओं के लिए सिंगल्स और डबल्स दोनों इवेंट्स होते हैं। खिलाड़ी क्वाड डिविजन और ओपन डिविजन के तहत प्रतिस्पर्धा करते हैं।
सिंगल्स:
- एक खिलाड़ी अपने विरोधी के साथ मुकाबला करता है।
डबल्स:
- दो खिलाड़ी एक टीम के रूप में खेलते हैं और दूसरी टीम के दो खिलाड़ियों के खिलाफ मुकाबला करते हैं।
प्रमुख खिलाड़ी और उनकी उपलब्धियाँ
व्हीलचेयर टेनिस के इतिहास में कई खिलाड़ी रहे हैं जिन्होंने इस खेल को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है:
शिंगो कुनिएदा (Shingo Kunieda):
- जापान के शिंगो कुनिएदा को व्हीलचेयर टेनिस का सबसे महान खिलाड़ी माना जाता है। उन्होंने कई ग्रैंड स्लैम खिताब और पैरालंपिक स्वर्ण पदक जीते हैं।
एस्तेर वेरगेर (Esther Vergeer):
- नीदरलैंड की एस्तेर वेरगेर भी व्हीलचेयर टेनिस की महान खिलाड़ी रही हैं। उन्होंने अपने करियर में 470 से ज्यादा मैच लगातार जीते और कई पैरालंपिक खिताब जीते।
व्हीलचेयर टेनिस का महत्व
व्हीलचेयर टेनिस केवल एक खेल नहीं है, यह शारीरिक रूप से दिव्यांग खिलाड़ियों के लिए जीवन का एक हिस्सा बन गया है। यह न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है बल्कि आत्मसम्मान और आत्मविश्वास भी बढ़ाता है। इस खेल ने दुनिया भर में लोगों को यह संदेश दिया है कि शारीरिक चुनौतियाँ किसी को भी अपने सपनों को पूरा करने से नहीं रोक सकतीं।
भारत में व्हीलचेयर टेनिस का विकास
भारत में भी व्हीलचेयर टेनिस धीरे-धीरे लोकप्रियता प्राप्त कर रहा है। भारतीय व्हीलचेयर टेनिस फेडरेशन (IWTF) की स्थापना 2016 में की गई थी, जिसका उद्देश्य भारत में इस खेल को बढ़ावा देना और नए खिलाड़ियों को प्रेरित करना है। भारत में भी कई खिलाड़ी इस खेल में हिस्सा ले रहे हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन कर रहे हैं।
निष्कर्ष
व्हीलचेयर टेनिस एक प्रेरणादायक खेल है जो यह दिखाता है कि शारीरिक दिव्यांगता किसी के सपनों को पूरा करने में बाधा नहीं हो सकती। यह खेल न केवल खिलाड़ियों को शारीरिक रूप से सक्रिय रखता है बल्कि मानसिक रूप से भी मजबूत बनाता है। पैरालंपिक में व्हीलचेयर टेनिस का आयोजन इस बात का प्रमाण है कि हर व्यक्ति, चाहे वह किसी भी स्थिति में हो, अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन कर सकता है और दुनिया को दिखा सकता है कि असंभव कुछ भी नहीं है।
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