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हरतालिका तीज 2024: व्रत के दौरान इन 7 गलतियों से बचें, नहीं तो व्रत टूट सकता है

हरतालिका तीज हिंदू धर्म में महिलाओं द्वारा मनाए जाने वाले महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। इस दिन, महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं और अपने पति की लंबी आयु और खुशहाल जीवन की कामना करती हैं। यह व्रत बहुत ही कठोर होता है और इसमें निर्जला व्रत (बिना अन्न और पानी के) रखा जाता है। हरतालिका तीज पर पूजा का विशेष महत्व है और इस दौरान कुछ नियमों का पालन करना जरूरी होता है ताकि व्रत का संपूर्ण फल प्राप्त हो सके। इस लेख में हम चर्चा करेंगे कि हरतालिका तीज के व्रत के दौरान कौन सी 7 गलतियों से बचना चाहिए ताकि व्रत सफलतापूर्वक संपन्न हो सके।

हरतालिका तीज 2024 कब है?

हरतालिका तीज इस वर्ष 6 सितंबर 2024 को मनाई जाएगी। यह व्रत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को आता है। इस दिन महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं और रात्रि में जागरण कर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं।

हरतालिका तीज के दौरान इन 7 गलतियों से बचें:

  1. निर्जला व्रत का पालन न करना:

    • हरतालिका तीज का व्रत बहुत कठिन होता है और इसमें जल का भी सेवन नहीं किया जाता है। कई बार महिलाएं व्रत के दौरान गलती से पानी पी लेती हैं या कुछ खा लेती हैं, जिससे व्रत का फल समाप्त हो जाता है। इसलिए, इस दिन निर्जला व्रत का सख्ती से पालन करें और अन्न या जल का सेवन न करें।
  2. शिव-पार्वती की पूजा में किसी प्रकार की कमी:

    • हरतालिका तीज के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा की जाती है। पूजा विधि में कोई कमी न आने दें। सही विधि-विधान के अनुसार पूजा करें और सभी आवश्यक पूजन सामग्री का प्रयोग करें। ध्यान रखें कि पूजा के दौरान शिवलिंग का अभिषेक गंगाजल, दूध, दही, शहद, और बेलपत्र से करें।
  3. पूजा के लिए अपवित्र स्थिति में रहना:

    • पूजा करते समय हमेशा शुद्धता का ध्यान रखें। स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें और पूजा स्थल को पवित्र रखें। अगर आप किसी अपवित्र स्थिति में हैं, जैसे कि अस्वच्छ कपड़े पहने हैं या गंदे हाथों से पूजा कर रहे हैं, तो यह व्रत के फल में बाधा डाल सकता है।
  4. पूजा सामग्री में लापरवाही:

    • हरतालिका तीज के दिन विशेष पूजा सामग्री की आवश्यकता होती है जैसे बेलपत्र, धतूरा, भांग, आक के फूल आदि। अगर पूजा सामग्री में कोई कमी रह जाए या गलत सामग्री का प्रयोग कर लिया जाए, तो इसका व्रत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए, पूजा सामग्री को पहले से ही तैयार कर लें और कोई भी सामग्री छूटने न दें।
  5. पति की लंबी आयु की कामना न करना:

    • हरतालिका तीज का व्रत मुख्य रूप से सुहागिन महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी आयु और सुखमय जीवन के लिए रखा जाता है। इस दिन पति के स्वास्थ्य और लंबी आयु की कामना करना अनिवार्य होता है। इसलिए, व्रत के दौरान और पूजा के समय अपने पति के लिए प्रार्थना जरूर करें।
  6. सोलह श्रृंगार न करना:

    • हरतालिका तीज के दिन सोलह श्रृंगार का बहुत महत्व होता है। महिलाएं इस दिन पूरे सोलह श्रृंगार करती हैं और अपने आप को एक दुल्हन की तरह सजाती हैं। अगर कोई महिला सोलह श्रृंगार नहीं करती है या इसे अनदेखा करती है, तो इसका व्रत के फल पर असर पड़ सकता है।
  7. रात्रि जागरण न करना:

    • हरतालिका तीज व्रत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रात्रि जागरण है। महिलाएं पूरी रात जागकर भजन-कीर्तन करती हैं और भगवान शिव-पार्वती की महिमा का गुणगान करती हैं। अगर कोई महिला जागरण न करे और रात में सो जाए, तो इसका व्रत के पुण्य फल पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

व्रत के अन्य महत्वपूर्ण नियम

  • संकल्प लेना: व्रत शुरू करने से पहले संकल्प लेना जरूरी होता है। यह एक प्रकार का प्रतिज्ञा होती है जिसमें महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती से व्रत को सही तरीके से पूरा करने के लिए आशीर्वाद मांगती हैं।

  • पूजा की विधि का पालन: पूजा की सही विधि का पालन करना जरूरी है। पूजा करते समय मंत्रोच्चार और ध्यान का महत्व होता है। हरतालिका तीज की कथा का पाठ भी जरूरी होता है।

  • भजन-कीर्तन: रात्रि जागरण के दौरान भजन-कीर्तन और शिव-पार्वती की आरती का विशेष महत्व होता है। इससे घर का वातावरण पवित्र होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

हरतालिका तीज व्रत के फायदे

  • यह व्रत करने से पति-पत्नी के रिश्ते में प्रेम और विश्वास बढ़ता है।
  • भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  • इस व्रत के प्रभाव से दांपत्य जीवन में सुख, समृद्धि, और शांति बनी रहती है।

निष्कर्ष

हरतालिका तीज का व्रत महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण पर्व होता है और इसके लिए सच्चे मन से तैयारी करनी चाहिए। उपरोक्त 7 गलतियों से बचकर, महिलाएं अपने व्रत को सफल बना सकती हैं और भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त कर सकती हैं। व्रत के दौरान सही विधि का पालन और भगवान के प्रति पूर्ण श्रद्धा भाव ही इस व्रत का सार है।

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